हौज़ा न्यूज़ एजेंसी की एक रिपोर्ट के अनुसार, आयतुल्लाहिल उज़्मा सय्यद अली हुसैनी सीस्तानी (दामा जिल्लोही) से अनुरोध किया गया:
प्रश्न: क्या क्या जनाजे की नमाज़ और अक़्द पढ़ाने की उजरत लेना जायज़ है?
उत्तर: निकाह पढ़ाने के लिए फीस लेने में कोई बुराई नहीं है, और जनाज़ा की नमाज़ के लिए उजरत लेना एहतियात के तौर पर जायज़ नहीं है।
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